Nandeshwar Mahadev Temple: उदयपुर में स्थित महादेव के इस मंदिर में नारद मुनि ने की थी तपस्या, जानें मंदिर का इतिहास
Nandeshwar Mahadev Temple: उदयपुर के नजदीक नांदेश्वर महादेव मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहां नारद मुनि महादेव की आराधना में लीन थे और उन्होंने घोर तपस्या की थी। कहा जाता है कि नारद मुनि की कठोर तपस्या से प्रभावित होकर भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) स्वयं वहां प्रकट हुए थे। साथ ही नारद मुनि से श्राप भी समाप्त हो गया था। कहा जाता है कि यह स्वयंभू शिवलिंग उसी समय प्रकट हुआ था। आज भी भक्त इस स्थान की पूजा करते हैं।

उदयपुर जिले से करीब 14 से 15 किलोमीटर दूर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल (Historical and Religious Sites) है। कहा जाता है कि इस पवित्र स्थान पर महर्षि नारद ने स्वयं तपस्या की थी। यह स्थान नांदेश्वर महादेव मंदिर का ही हिस्सा माना जाता है। धार्मिक महत्व के अलावा यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पौराणिक मान्यताओं के कारण भी अद्वितीय है।
नांदेश्वर महादेव मंदिर में आज भी मौजूद है शिवलिंग
नांदेश्वर महादेव मंदिर (Nandeshwar Mahadev Temple) में सदियों से पूजनीय एक पुराना स्वयंभू शिवलिंग आज भी मौजूद है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन तालाब भी है जिसका पानी कभी नहीं सूखा। भक्तों के अनुसार यह कुंड चमत्कारी है, जिसके जल से सभी रोग और पीड़ाएं ठीक हो जाती हैं।
इस मंदिर में एक शिवलिंग है जो लगभग सौ साल पुराना
मंदिर के पुजारी का दावा है कि उनका परिवार पिछले 100 सालों से इस शिवलिंग की सेवा कर रहा है और उनके पूर्वजों ने भी यहां पूजा की है। आपको बता दें कि पंडित जी के पूर्वजों के अनुसार नारद मुनि श्राप से ग्रसित होकर एकांतवास की तलाश में यहां आए थे।
सोमवार को यहां भक्तों की भीड़
सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। यहां दुनिया भर से भक्त जलाभिषेक करते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मानसून के मौसम में यह पिकनिक मनाने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक
मंदिर का वातावरण बहुत शांत और आध्यात्मिक है। चारों ओर फैली हरियाली और प्रकृति की भव्यता के कारण यह तीर्थस्थल जैसा लगता है। यह स्थान आज भी धार्मिक भक्ति का प्रतीक बना हुआ है, तथा इसका पौराणिक महत्व (Mythological Significance) लोगों की आस्था को और मजबूत करता है।