Maya Devi Temple: उत्तराखंड में स्थित इस शहर की रक्षा करती हैं माया देवी, जानिए मंदिर की धार्मिक मान्यताएं
Maya Devi Temple: जहाँ-जहाँ देवी सती के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ स्थापित किए गए।देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। शक्तिपीठों (Shakti Peethas) को देवी का ही स्वरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शक्तिपीठों पर जाने से माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आज हम ऐसे ही एक शक्तिपीठ के बारे में चर्चा करेंगे, जो उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित है। इस मंदिर में आने मात्र से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

माया देवी मंदिर से जुड़े धार्मिक मान्यताएं
51 शक्तिपीठों में से एक माया देवी को समर्पित मंदिर है। आपको बता दें कि हरिद्वार में माया देवी मंदिर है। यहीं पर देवी सती का हृदय और नाभि गिरी थी। धार्मिक और पौराणिक परंपराओं में माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी (Presiding Goddess) माना जाता है। माना जाता है कि मां माया देवी हरिद्वार को सभी दुष्ट और विनाशकारी शक्तियों से बचाती हैं। माया देवी मंदिर के दर्शन के बिना हरिद्वार की तीर्थयात्रा पूरी नहीं मानी जाती। सभी 51 शक्तिपीठों में से मायादेवी मंदिर पहला है। कहा जाता है कि सभी शक्तिपीठ मायादेवी शक्तिपीठ से निकले हैं।
माया देवी मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी
सुबह और शाम माया देवी मंदिर में देवी की आरती की जाती है। यह हरिद्वार के ऐतिहासिक मंदिरों (Historical Temples) में से एक है। अतीत में, हरिद्वार को इसके मंदिर के कारण मायापुरी कहा जाता था। प्राचीन काल से, मायापुरी क्षेत्र में त्रिभुज के आकार में तीन शक्तिपीठ पाए गए हैं।
त्रिभुज के उत्तरी कोने में मनसा देवी, दक्षिणी कोने में शीतला देवी तथा पूर्वी कोने में चंडी देवी (Chandi Devi) विराजमान हैं। इस क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती माया देवी इस त्रिभुज के मध्य में पूर्व दिशा, बायीं ओर अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके विराजमान हैं, जबकि माया के अधिष्ठात्री देवता भगवान शिव दक्षिण दिशा में श्री दक्षेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं।
आपको बता दें कि माया देवी मंदिर में प्रतिदिन भक्तों का तांता लगा रहता है। इसके अलावा नवरात्रि (Navratri) में माता रानी के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। माया देवी मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता माया देवी के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता।