The Hindu Temple

Kaal Bhairav Mandir: दिव्य शक्ति और रक्षा के अधिपति

Kaal Bhairav Mandir: हिंदू धर्म में काल भैरव की उपासना अत्यंत प्राचीन The worship of Bhairava is extremely ancient और व्यापक है। भगवान शिव के इस उग्र रूप को समय, भय और नकारात्मक शक्तियों का नाशक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव अपने भक्तों को लोभ, क्रोध और मोह जैसे आंतरिक शत्रुओं से मुक्त करते हैं और उन्हें साहस, स्थिरता तथा आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग दिखाते हैं। पौराणिक कथाएँ बताती हैं कि देवताओं और असुरों के युद्ध में राक्षसों का विनाश करने हेतु शिव ने भैरव रूप धारण किया और यहीं से अष्ट भैरवों तथा आगे 64 भैरवों और 64 योगिनियों की उत्पत्ति मानी जाती है।

Kaal bhairav mandir

काल भैरव मंदिर का उत्पत्ति और इतिहास

काल भैरव की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ लोकमानस में प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, ब्रह्मांड में सर्वोच्च सत्ता को लेकर ब्रह्मा और विष्णु के बीच संवाद Conversation between Vishnu हुआ। जब ब्रह्मा ने स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताया, तो शिव ने उनके घमंड को समाप्त करने के लिए भैरव का रूप धारण किया। कहा जाता है कि इसी रूप में उन्होंने ब्रह्मा के पाँचवें सिर को काट दिया, जिसके कारण भैरव को ब्रह्महत्या का दोष लगा। इस दोष से मुक्त होने तक वे भिक्षाटन करते रहे और उनके इसी स्वरूप को कई मंदिरों में पूजित रूप में देखा जाता है। मान्यता है कि काल भैरव प्रत्येक शक्तिपीठ के रक्षक देवता हैं और उनकी उपस्थिति से स्थल की दिव्यता बढ़ती है।

काल भैरव का स्वरूप और आध्यात्मिक महत्व

भैरव को तामसी रूप में वर्णित तामसी रूप में वर्णित Described as being in a Tamasic form किया गया है, जिसका अर्थ है कि वे मनुष्य को तमोगुण से निकालकर आध्यात्मिक प्रकाश की ओर ले जाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि काल भैरव मन के भय, चिंता, लालच और पीड़ा को दूर कर जीवन में संतुलन और मानसिक शक्ति प्रदान करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, वे श्मशान में निवास करते हैं, क्योंकि वे संसार की माया से दूर रहते हुए भक्तों को वैराग्य और सत्य की ओर प्रेरित करते हैं। उनकी आराधना को शीघ्र फलदायी माना जाता है और यह धारणा भी प्रचलित है कि वे अल्प भेंट में प्रसन्न होकर भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।

काल भैरव मंदिर का धार्मिक स्वरूप

मध्य प्रदेश के अडेगाँव स्थित प्रसिद्ध काल भैरव नाथ स्वामी मंदिर The famous Kal Bhairav ​​Nath Swami Temple is located there  में विराजमान मूर्ति शिव के भयंकर रूप का प्रतीक मानी जाती है। उग्र नेत्र, ज्वलंत बाल, खोपड़ियों की माला तथा हाथों में त्रिशूल, पाश, डमरू और कपाल लिए उनका रूप अत्यंत प्रभावशाली प्रतीत होता है। भैरव के साथ एक कुत्ता भी दर्शाया जाता है, जो वफादारी और सुरक्षा का प्रतीक है। यह मंदिर हिंदू, बौद्ध और जैन समुदायों के लिए समान रूप से पूजनीय स्थल है और इसमें भारत तथा नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं।

दक्षिण भारत में भैरव उपासना की परंपरा

कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों Rural areas of Tamil Nadu में काल भैरव को समुदाय के सर्वोच्च देवता के रूप में पूजने की परंपरा है। कर्नाटक में उन्हें गौड़ा नाम से जाना जाता है और कई समाज उन्हें पालनहार तथा दंडदाता दोनों रूपों में स्वीकारते हैं। भैरव के आठ स्वरूपों को अष्ट भैरव कहा जाता है और भक्त मानते हैं कि शनिवार के दिन कुत्तों को हलवा पूरी खिलाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

मंदिर के दर्शन और समय

अडेगाँव का काल भैरव मंदिर Kal Bhairav ​​Temple of Adegon सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। दोपहर 12 से 2 बजे के बीच मंदिर बंद रहता है। विशेष पर्वों पर समय में परिवर्तन हो सकता है। दोपहर 2 बजे के बाद भक्तों को प्रसाद स्वरूप मिठाइयाँ और सूखे मेवे प्रदान किए जाते हैं, साथ ही भक्त अपनी इच्छा से मौसमी फल भी अर्पित कर सकते हैं।

प्रमुख त्योहार और उत्सव

भैरव अष्टमी इस मंदिर का सबसे विशेष उत्सव Special celebration माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन काल भैरव पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाने वाला यह पर्व विशेष अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और रात्रि जागरण के लिए प्रसिद्ध है। शिवरात्रि भी यहाँ अत्यंत उत्साह के साथ मनाई जाती है, जब हजारों भक्त दीपों से सजे मंदिर परिसर में शिव आराधना के लिए एकत्रित होते हैं।

पूजा विधि और अनुष्ठान

काल भैरव की आरती सुबह और शाम दोनों समय की जाती है। भक्त जल, दूध, शहद, दही, घी, विभूति तथा चंदन के द्वारा अभिषेक करते हैं और कमल, चमेली, शंखपुष्पी तथा बिल्व पत्र अर्पित करते हैं। साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर पूजा करना आवश्यक माना गया है। घी के दीप और धूप अर्पित कर भोग लगाने की परंपरा भी प्रचलित है।

काल भैरव मंदिर तक पहुँचने के मार्ग

अडेगाँव के निकटतम हवाई अड्डों में छिंदवाड़ा Chhindwara in airports हवाई अड्डा (53.2 किमी), जबलपुर हवाई अड्डा (117.2 किमी) और बाबासाहेब अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (175.3 किमी) प्रमुख हैं। रेल मार्ग से आने पर काराबोह सबसे नजदीकी स्टेशन है, जबकि सिवनी और भोमा भी सुविधाजनक विकल्प हैं। सड़क मार्ग से यह स्थान नरसिंहपुर से 63.7 किमी तथा सिवनी से 35.7 किमी दूर स्थित है। अमरवाड़ा निकटतम नगरीय बिंदु है जो 17.9 किमी दूरी पर स्थित है।

 

 

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