The Hindu Temple

Brahmarshi Das Temple: जहाँ पूजा मात्र से लौट आती है नेत्रहीन की रौशनी, जानें इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य

Brahmarshi Das Temple: आमतौर पर मंदिरों की यात्रा लोग पूजा-पाठ, मन की शांति या किसी मन्नत को पूरा करने के लिए करते हैं। लेकिन भारत में कुछ ऐसे भी आस्था के केंद्र हैं, जिनकी प्रसिद्धि किसी और ही कारण से है – बीमारियों का इलाज। आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे मंदिर की कहानी सुना रहे हैं, जिसकी मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा से आकर पूजा करने वालों की आँखों की रोशनी वापस आ जाती है।

Brahmarshi das temple
Brahmarshi das temple

यह चमत्कारी स्थल उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में स्थित है और इसे ब्रह्मर्षि दास मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की गाथा किसी लोककथा से कम नहीं है, जो युगों से लोगों के विश्वास को और गहरा करती जा रही है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हज़ारों लोगों के लिए आशा की किरण है।

महान तपस्वी की अलौकिक शक्ति और वरदान (Miracle)

स्थानीय निवासियों की मानें तो, ब्रह्मर्षि दास कोई साधारण संत नहीं, बल्कि एक महान तपस्वी थे जिनकी वाणी में अद्भुत शक्ति थी। केशव प्रसाद यादव जैसे स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा ब्रम्हर्षि दास की तपस्या इतनी गहन थी कि यदि वह अपने मुख से किसी नेत्रहीन व्यक्ति के लिए आशीर्वाद दे देते, तो उसकी आँखों की रोशनी सचमुच लौट आती थी। यह बात किसी जादू या विज्ञान से परे की शक्ति से कम नहीं लगती।

एक घटना का ज़िक्र करते हुए केशव प्रसाद बताते हैं कि उनके गाँव में एक हरिजन युवक नेत्रहीन था। बाबा स्वयं उसके घर गए और उसके परिवार से कहा कि यह बालक घर बैठकर क्या करेगा, इसे मेरे आश्रम में भेज दो। उनकी यह पहल स्पष्ट करती है कि बाबा की तपस्या केवल व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि उसका उद्देश्य लोगों का कल्याण करना था।

नेत्रहीन बालक को सौंपा गया एक अनोखा कार्य (Devotion)

बाबा ब्रम्हर्षि दास ने उस नेत्रहीन युवक को अपने आश्रम में लाकर एक ऐसा कार्य सौंपा जो सुनने में बड़ा ही अजीब था। उन्होंने उसे मंदिर के सामने जल में नाव चलाकर भक्तों को मंदिर के दर्शन कराने का आदेश दिया। बाबा ने उससे कहा कि यदि वह श्रद्धा भाव और पूर्ण समर्पण के साथ यह सेवा करता है, तो उसकी आँख की रोशनी निश्चित रूप से वापस आ जाएगी।

तपस्वी बाबा के इन वचनों में अटूट विश्वास रखते हुए, परिवार के लोग प्रतिदिन उस बालक को मंदिर पर लाकर छोड़ देते थे। यह उस युवक के लिए केवल एक कर्तव्य नहीं था, बल्कि एक ऐसी परीक्षा थी जो उसके विश्वास और धैर्य को जाँचने वाली थी। उसकी दैनिक सेवा, जिसे वह आँखों से देखे बिना करता था, उसकी गहरी आस्था का प्रतीक बन गई।

वर्षों की सेवा ने दी आँखों को नई रोशनी (Faith)

उस समय वह नेत्रहीन युवक मात्र 8 वर्ष का था। वह बिना किसी शिकायत के, आने-जाने वाले दर्शनार्थियों को प्रतिदिन नाव से मंदिर के दर्शन कराता रहा। धीरे-धीरे 8 वर्ष बीत गए और अब वह युवक 16 वर्ष का हो चुका था। एक दिन अचानक उस युवक की आँखों की रोशनी वापस आ गई! यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।

इस घटना ने मंदिर और बाबा ब्रह्मर्षि दास के प्रति लोगों की श्रद्धा को और भी मज़बूत कर दिया। इसी उपलक्ष्य में, यहाँ के लोग सात दिवसीय हवन और यज्ञ का आयोजन करते हैं और एक विशाल भंडारा करते हैं। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि अटूट विश्वास और निःस्वार्थ सेवा असंभव को भी संभव बना सकती है।

पवित्रता और सत्यनिष्ठा का अद्भुत केंद्र (Sanctity)

ब्रह्मर्षि दास मंदिर की एक और बड़ी विशेषता है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर में कोई व्यक्ति कभी भी झूठी कसम खाने की हिम्मत नहीं करता है। यह मंदिर सत्य और न्याय के प्रति एक गहरा आदर रखता है।

इसके अलावा, जो लोग मांस-मदिरा का सेवन करते हैं, वे भी इस पवित्र स्थल में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। यह मंदिर अपनी इस अनूठी पवित्रता के कारण आस-पास के कई जनपदों में बेहद प्रसिद्ध है। प्रतिदिन, बड़ी संख्या में भक्त दूर-दूर से तपस्वी बाबा ब्रह्मर्षि के दर्शन और उनका आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ आते हैं। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि नैतिक मूल्यों और शुद्ध आचरण का भी प्रतीक है।

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