10 hidden sacred sites of Ayodhya: राम मंदिर के अलावा ये जगहें भी करेंगी आपको आश्चर्यचकित
10 hidden sacred sites of Ayodhya:अयोध्या अब सिर्फ रामलला के दर्शन तक सीमित नहीं रही। रामजन्मभूमि मंदिर की भव्यता के साथ-साथ यह प्राचीन नगरी अपने भीतर सैकड़ों वर्षों का इतिहास, आस्था और विविध धर्मों की संगम स्थली छिपाए बैठी है। सरयू के पावन तट पर बसी यह नगरी हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख चारों धर्मों के लिए परम पवित्र है। अगर आप सोच रहे हैं कि अयोध्या सिर्फ एक मंदिर का शहर है तो यह लेख आपको हैरान कर देगा।

सरयू नदी के मनमोहक घाटों की सैर
अयोध्या का असली सौंदर्य सरयू के घाटों में बसता है। यहां कुल 84 घाट हैं जिनमें से 14 घाट विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। शाम ढलते ही गुप्तार घाट, लक्ष्मण घाट, पापमोचन घाट और कैकेयी घाट पर आरती का नजारा देखते ही बनता है। नहाने-धोने के बाद लोग यहीं बैठकर सरयू मइया की जय-जयकार करते हैं। खासकर कार्तिक पूर्णिमा के समय इन घाटों पर दीपोत्सव का दृश्य अविस्मरणीय होता है।
हनुमान गढ़ी – रामभक्ति का जीवंत केंद्र
अयोध्या आने वाला कोई भी श्रद्धालु हनुमान गढ़ी के दर्शन के बिना नहीं जाता। शहर के बीचोंबीच ऊंची पहाड़ी पर बना यह किला नुमा मंदिर हनुमानजी की अपार शक्ति का प्रतीक है। कहते हैं कि यहीं हनुमानजी रामलला की रक्षा के लिए निवास करते हैं। मंदिर में 76 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है और ऊपर पहुंचते ही मन शांत हो जाता है।
कनक भवन – सोने सा चमकता सीता-राम का महल
कनक भवन का नाम सुनते ही आंखों के सामने सोने का महल उभर आता है। यह मंदिर कैकेयी ने माता सीता को दिया था। आज भी यहां श्रीराम और माता जानकी की अत्यंत सुंदर मुर्तियां विराजमान हैं। श्रृंगार के समय मंदिर में जो दृश्य होता है, उसे देखकर लगता है मानो अभी राम-सीता जीवंत हो उठेंगे।
दंतधावन कुंड और राम दतौन की पावन स्मृति
हनुमान गढ़ी के पास ही वह स्थान है जहां भगवान राम प्रतिदिन दतौन करते थे। आज भी यहां एक प्राचीन कुंड है जिसमें पानी कभी कम नहीं होता। श्रद्धालु यहां दतौन करके अपने दांतों को पवित्र करते हैं। यह स्थान भक्ति और आस्था का अनोखा संगम है।
भरत मिलाप और नंदीग्राम की याद
अयोध्या से करीब 20 किलोमीटर दूर नंदीग्राम है जहां भरतजी ने 14 वर्ष तक खड़ाऊं रखकर राज्य किया था। भरत कुंड और भरत मंदिर आज भी उस भाई प्रेम की गाथा सुनाते हैं। राम-भरत मिलाप स्थल पर पहुंचकर हर किसी की आंखें भर आती हैं।
जैन धर्म की प्राचीन जन्मभूमि
क्या आपको पता है कि अयोध्या पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली है? प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव सहित अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ स्वामी का जन्म यहीं हुआ था। यहां केसरी सिंह जैन मंदिर और अन्य जैन मंदिरों में आज भी इन तीर्थंकरों की भव्य प्रतिमाएं विराजमान हैं।
मणि पर्वत पर बौद्ध इतिहास के अवशेष
मणि पर्वत पर आज भी प्राचीन बौद्ध स्तूप के चिह्न मिलते हैं। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सातवीं शताब्दी में लिखा था कि यहां 20 बौद्ध मंदिर और 3000 भिक्षु थे। कहा जाता है कि गौतम बुद्ध की प्रमुख शिष्या विशाखा ने यहीं बौद्ध विहार बनवाया था।
गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड – सिख आस्था का प्रमुख केंद्र
अयोध्या में सिख धर्म का सबसे बड़ा गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब है। गुरु नानक देव जी, गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोबिंद सिंह जी तीनों यहां आए थे। खास बात यह है कि गुरु गोबिंद सिंह जी की निहंग सेना ने मुगलों से राम जन्मभूमि की रक्षा के लिए युद्ध किया था। उनके हथियार आज भी गुरुद्वारे में रखे हैं।
राजा दशरथ महल के खंडहरों में बसी यादें
अयोध्या में अभी भी राजा दशरथ के महल के अवशेष मौजूद हैं। विशाल दीवारें और प्राचीन स्थापत्य कला देखकर रामायण काल की याद ताजा हो जाती है। पास ही सीता रसोई है जहां माता सीता खाना बनाती थीं।
गुप्तार घाट – जहां राम ने जल समाधि ली थी
सरयू तट पर गुप्तार घाट वह पवित्र स्थान है जहां भगवान राम ने अपनी लीला समाप्त कर जल समाधि ली थी। आज भी यहां राम की पादुका रखी हैं और श्रद्धालु स्नान करके पुण्य कमाते हैं।
अयोध्या घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है। यहां पहुंचकर लगता है जैसे समय ठहर सा गया हो। राम मंदिर देखने के साथ-साथ इन स्थानों के दर्शन करके यात्रा पूरी होती है। जब भी जाएं, दो-तीन दिन जरूर रखें, क्योंकि एक दिन में यह पावन नगरी देख पाना असंभव है।

