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Kharmas Story: खरमास का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, क्या करें, क्या न करें और क्यों है यह समय विशेष

Kharmas Story: सनातन धर्म में समय की गणना केवल तारीखों तक सीमित नहीं होती, बल्कि हर कालखंड का अपना आध्यात्मिक Rather, every period has its own spiritual और ज्योतिषीय महत्व होता है। इन्हीं विशेष कालों में से एक है खरमास। यह वह अवधि मानी जाती है जब शुभ कार्यों पर विराम लगाया जाता है और आत्मिक शुद्धि, संयम तथा साधना पर विशेष ध्यान दिया जाता है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए गलत निर्णय या वर्जित कार्य जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं, जबकि नियमों का पालन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

Kharmas story

खरमास क्या है और इसे अशुभ क्यों माना जाता है

हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश The sun enters Sagittarius or Pisces करता है, तब लगभग एक माह की अवधि को खरमास कहा जाता है। यह समय साल में दो बार आता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति होते हैं, लेकिन सूर्य के तेज प्रभाव के कारण इस अवधि में बृहस्पति का शुभ प्रभाव कमजोर पड़ जाता है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य इस समय वर्जित माने गए हैं।
खरमास शब्द की उत्पत्ति ‘खर’ से मानी जाती है, जिसका अर्थ गधा होता है। यह प्रतीकात्मक रूप से सुस्ती, धीमी गति और रुकावट का संकेत देता है।

खरमास की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव According to beliefs, the Sun God अपने रथ से आकाश मार्ग पर यात्रा करते हैं। एक बार उनके रथ को खींचने वाले घोड़े अत्यधिक थक गए। सूर्य देव ने दया भाव से रथ को नदी किनारे मोड़ दिया ताकि घोड़े विश्राम कर सकें। इस दौरान कुछ समय के लिए रथ को दो गधों ने खींचा। इसी घटना के कारण इस अवधि को खरमास कहा गया। यह कथा सूर्य की गति में आई मंदता और ऊर्जा के ठहराव को दर्शाती है।

खरमास का आध्यात्मिक महत्व

खरमास को बाहरी उपलब्धियों से अधिक आंतरिक विकास Inner growth is more important than achievements का समय माना गया है। यह काल आत्मचिंतन, साधना, दान-पुण्य और संयम के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान व्यक्ति को अपने कर्मों, विचारों और जीवन की दिशा पर पुनर्विचार करने का अवसर मिलता है।

खरमास के दौरान क्या न करें

इस अवधि में विवाह, सगाई या बड़े पारिवारिक समारोह आयोजित During this period, weddings, engagements, or large family ceremonies are held नहीं करने चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि इससे दांपत्य जीवन में तनाव आ सकता है।
नया व्यापार, कंपनी या बड़ा निवेश शुरू करना भी वर्जित माना जाता है, क्योंकि इस समय लिए गए आर्थिक निर्णय भविष्य में नुकसान या कर्ज का कारण बन सकते हैं।
घर का निर्माण, रिनोवेशन या गृह प्रवेश जैसे कार्य भी टालने चाहिए।
लंबी या अनावश्यक यात्राओं से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस दौरान बाधाएं और देरी होने की आशंका मानी जाती है।
मुंडन, यज्ञोपवीत, कान छिदवाना जैसी संस्कार विधियां भी इस समय नहीं की जातीं।

खरमास के दौरान क्या करें

इस समय सूर्य देव की आराधना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। प्रतिदिन प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना और आदित्य हृदय स्तोत्र जैसे मंत्रों का जाप करने से आत्मबल बढ़ता है।
पीपल के वृक्ष की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है, क्योंकि धार्मिक मान्यता है कि इसमें अनेक देवताओं का वास होता है।
तुलसी के पौधे की सेवा, Serving the basil plant उसे जल देना और दीपक जलाना घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
दान, व्रत, जप और ध्यान जैसे कार्य करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
यह समय पुराने अधूरे कार्यों की समीक्षा और आत्मिक सुधार के लिए भी उत्तम माना जाता है।

खरमास से जुड़ा व्यवहारिक संदेश

खरमास को केवल अशुभ मानकर डरने की बजाय इसे एक विराम के रूप In the form of a pause में देखना चाहिए। यह प्रकृति का संकेत है कि इस समय गति कम करके आत्मिक संतुलन पर ध्यान दिया जाए। सही दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह समय जीवन को नई दिशा देने की तैयारी का अवसर प्रदान करता है।

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