The Hindu Temple

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होयसलेश्वर मंदिर: जानिए इसकी खासियत

Hoysaleswara Temple: होयसलेश्वर मंदिर सिर्फ एक साधारण मंदिर नहीं है, बल्कि यह ऐसा प्रतीत होता है जैसे इसे भविष्य से लाया गया हो। कर्नाटक के इस प्राचीन मंदिर (Ancient Temple) की वास्तुकला अद्भुत और चमत्कारी है। इसकी मूर्तियां और कलाकृतियां इतनी बारीक और परिपूर्ण हैं कि वे आधुनिक तकनीक से बनाई गई लगती हैं।

मंदिर की अद्वितीय विशेषताएं

इस मंदिर में पाए जाने वाले गोलाकार खंभों पर ऐसे निशान हैं, जो यह साबित करते हैं कि इन्हें केवल अत्याधुनिक मशीनों से बनाया जा सकता है। इन खंभों के अलावा यहां की मूर्तियों पर की गई नक्काशी इतनी सूक्ष्म और जटिल है कि इसे हाथ से बनाना असंभव प्रतीत होता है। मंदिर के अंदर मौजूद काल भैरव की एक मूर्ति, जिसे मसान काल भैरव (Masaan Kaal Bhairava) कहा जाता है, विशेष ध्यान आकर्षित करती है। इस मूर्ति में काल भैरव के हाथ में एक यंत्र है, जो आधुनिक समय की तकनीक को दर्शाता है।

Hoysaleshwara temple

मंदिर का रहस्यमय इतिहास

होयसलेश्वर मंदिर से जुड़ा एक बड़ा रहस्य यह है कि आज तक कोई नहीं जानता कि इसे किसने और कब बनाया। इसके निर्माण के इतिहास पर रहस्य का पर्दा आज भी बरकरार है।

होयसलेश्वर मंदिर को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

कर्नाटक के इन अद्भुत मंदिरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल कर भारत को गौरवान्वित (Proud) किया है। इस अवसर पर यूनेस्को ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बधाई संदेश देते हुए लिखा, “भारत को बधाई! होयसलेश्वर मंदिरों का समूह विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खबर को साझा करते हुए कहा, “होयसलेश्वर के शानदार स्मारकों का यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना भारत के लिए गौरव का क्षण है। यह हमारे पूर्वजों की असाधारण शिल्प कौशल और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है।”

होयसलेश्वर मंदिरों का सांस्कृतिक महत्व

कर्नाटक के बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा में स्थित होयसल मंदिरों का समूह भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक है।

बेलूर का चन्नकेश्वर मंदिर

हलेबिड का केदारेश्वर और होयसलेश्वर मंदिर
सोमनाथपुर का केशव मंदिर
इन मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र बड़े ही उत्कृष्ट तरीके से उकेरे गए हैं।

हाइपर-रियल मूर्तियों की अद्वितीयता

यूनेस्को की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इन मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता उनकी हाइपर-रियल मूर्तियां (Hyper-Real Sculptures) हैं। पत्थरों पर की गई नक्काशी पूरी वास्तुशिल्प सतह को ढकती है, जिससे इनकी अद्वितीयता और बढ़ जाती है।

होयसलेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह हमारे समृद्ध इतिहास और अद्वितीय शिल्प कौशल का प्रतीक है। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना भारत की सांस्कृतिक उपलब्धियों का प्रमाण है।

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