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Shiv Temple Titilagarh: ओडिशा में स्थित भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर भीषण गर्मी में श्रद्धालुओं को देता है शीतलता, जानें इसके पीछे का रहस्य

Shiv Temple Titilagarh: आज हम एक ऐसे अद्भुत मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं, जिसके अंदर जाते ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। एक ऐसा मंदिर जिसके बारे में वैज्ञानिक आज भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। क्या आपने कभी किसी चमत्कारी मंदिर में भगवान की शक्ति देखी है? अगर नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसे खास और अद्भुत मंदिर (Amazing Temple) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप हैरान होने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर हो जाएंगे।

Shiv temple titilagarh
Shiv temple titilagarh

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के अंदर जाने मात्र से ही भगवान शिव और माता पार्वती की शक्ति का आभास हो जाता है। यह मंदिर टिटलागढ़ के कुम्हरा पर्वत के ऊपर स्थित है। आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में।

यहां का तापमान 55 डिग्री तक पहुंच जाता है

भारत के सबसे गर्म इलाकों में से एक ओडिशा (Odisha) के टिटलागढ़ में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित यह मंदिर है। टिटलागढ़ को भारत के सबसे गर्म इलाकों में से एक माना जाता है। यहां गर्मी के दिन काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं। कुम्हरा पर्वत की चट्टानें काफी गर्म होती हैं। यहां दिन का अधिकतम तापमान 55 डिग्री रहता है। भक्तों के लिए मंदिर परिसर के बाहर दो मिनट भी खड़ा होना मुश्किल होता है। हालांकि, इस मंदिर पर गर्मी का कोई असर नहीं पड़ता है।

इस मंदिर की खासियत

मंदिर में तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाता है, जबकि यहां AC या पंखा नहीं है। बाहर पचास डिग्री तापमान है और पुजारी और श्रद्धालु मंदिर के अंदर कंबल ओढ़े बैठे हैं। अभी तक वैज्ञानिक भी इस रहस्य को नहीं सुलझा पाए हैं। बाहर का तापमान बढ़ने पर मंदिर के अंदर का तापमान (Temperature) और भी ठंडा हो जाता है। यही बात इस मंदिर की खासियत और विशिष्टता को और बढ़ाती है। मंदिर में प्रवेश करते ही बाहर की भीषण गर्मी से परेशान श्रद्धालु ठंड से कांपने लगते हैं।

कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह ठंड मंदिर के निर्माण, चट्टानों की किस्म या धरती के नीचे से आने वाली ठंडी हवा के कारण हो सकती है। हालांकि, कुछ लोग इसे भगवान का उपहार मानते हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह जादुई ठंडक माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों के कारण है। अभी तक कोई भी वैज्ञानिक मंदिर (Scientific Temple) के रहस्य को नहीं सुलझा पाया है। इस रहस्य का अभी तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है।

मंदिर में प्रतिदिन जलाभिषेक किया जाता है और भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से आने वाले हर भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर तक कैसे पहुंचें?

बोलांगीर जिले में भगवान शिव और मां पार्वती (Lord Shiva and Mother Parvati) को समर्पित यह मंदिर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप हवाई जहाज, ट्रेन या सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। ओडिशा के सबसे बड़े शहरों से टिटलागढ़ का बेहतरीन कनेक्शन है। आप बस ले सकते हैं या अपनी कार चला सकते हैं। टिटलागढ़ शहर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।

विशेष विशेषताएँ:

  • पूरे साल यह मंदिर खुला रहता है।
  • यहाँ आने के लिए कोई शुल्क नहीं है।
  • यहाँ धर्मशाला में, आप रह सकते हैं।
  • इस स्थान के सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन टिटलागढ़ है।

यदि आप कभी ओडिशा में हों, तो टिटलागढ़ में स्थित यह विशिष्ट शिव मंदिर अवश्य देखें। आप इस मंदिर को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएँगे और आपको एक नया अनुभव होगा।

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