कैलासनाथर मंदिर कहाँ स्थित हैं? इसके बारे में क्या है विस्तृत जानकारी, जानें….
Kailasanathar Temple: कैलासनाथर मंदिर, जिसे तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर के रूप में जाना जाता है, दक्षिण भारत की वास्तुकला और धार्मिक धरोहर का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला, नक्काशीदार मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्व (Amazing architecture, carved sculptures and historical importance) के कारण श्रद्धालुओं और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

कैलासनाथर मंदिर का इतिहास
पल्लव वंश द्वारा निर्माण
कैलासनाथर मंदिर का निर्माण पल्लव राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय (राजा राजसिम्हा) द्वारा 685-705 ईस्वी में करवाया गया था। यह मंदिर पल्लव काल की वास्तुकला और संस्कृति को दर्शाता है। यह कांचीपुरम का सबसे पुराना शिव मंदिर माना जाता है।
चोल और विजयनगर साम्राज्य का योगदान
बाद में चोल और विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने इस मंदिर की देखभाल और विस्तार में योगदान दिया। इन राजवंशों ने मंदिर की सुरक्षा और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिससे यह मंदिर और भी लोकप्रिय हुआ।
कैलासनाथर मंदिर की वास्तुकला
द्रविड़ शैली की उत्कृष्ट मिसाल
यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। मंदिर की बाहरी और आंतरिक दीवारों पर शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और अन्य देवताओं की अद्भुत मूर्तियां उकेरी गई हैं।
गोपुरम और मंडप
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार एक छोटे गोपुरम (गेटवे टॉवर) से सुसज्जित है। इसमें एक लंबा मंडप (हाल) है, जो खूबसूरत खंभों और मूर्तियों से सुसज्जित है।
गरभगृह और शिवलिंग
मंदिर के गरभगृह में भगवान शिव का प्रमुख लिंग स्थित है। यह मंदिर की सबसे पवित्र जगह है और यहाँ भक्त ध्यान और पूजा करने आते हैं।
कैलासनाथर मंदिर में विशेष अनुष्ठान और उत्सव
महाशिवरात्रि उत्सव
महाशिवरात्रि के दिन हजारों भक्त मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस दिन विशेष अभिषेक, हवन और भजन-कीर्तन (Abhishek, Havan and Bhajan-Kirtan) आयोजित किए जाते हैं।
मार्गशीर्ष मास पूजा
दिसंबर-जनवरी महीने में मंदिर में विशेष पूजा होती है, जिसे मार्गशीर्ष मास पूजा कहते हैं। इस दौरान विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
प्रदक्षिणा (परिक्रमा)
मंदिर में भक्तों के लिए प्रदक्षिणा मार्ग (परिक्रमा करने का स्थान) बनाया गया है। यह मार्ग संकरी सुरंगों से गुजरता है, जिससे यह अनुभव और भी रोमांचक हो जाता है।
कैलासनाथर मंदिर का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व
दक्षिण भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में स्थान
यह मंदिर पंचभूतलिंग (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से संबंधित प्रमुख शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।
शैव संप्रदाय के लिए पवित्र स्थल
यह मंदिर शैव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए तीर्थस्थल के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षण
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है और इसकी देखरेख करता है।
कैसे पहुंचे कैलासनाथर मंदिर?
सड़क मार्ग
कांचीपुरम चेन्नई से 75 किलोमीटर दूर है और बस या टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
कांचीपुरम में रेलवे स्टेशन है, जहां से नियमित रूप से ट्रेनों की सेवा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कैलासनाथर मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला (Indian Architecture) का एक अद्भुत नमूना भी है। यह मंदिर इतिहास, वास्तुकला और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। यदि आप तमिलनाडु जाते हैं, तो इस प्राचीन मंदिर के दर्शन अवश्य करें।