भगवान कल्कि और माता वैष्णो का क्या है संबंध? जानें कल्कि भगवान की दिव्य बातें
भगवान कल्कि: पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु प्रत्येक युग के अंत में अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं। अब तक उनके नौ अवतार हो चुके हैं, और दसवां अवतार कल्कि के रूप में होना शेष है। शास्त्रों में वर्णित है कि कलियुग (Kali Yuga) के अंत में भगवान विष्णु कल्कि अवतार धारण करेंगे, अधर्मियों का नाश करेंगे और धर्म की पुनः स्थापना करेंगे। वर्तमान समय में कलियुग का केवल आधा समय ही बीता है, इसलिए इस अवतार के प्रकट होने में अभी काफी समय शेष है।

कल्कि अवतार का जन्मस्थान और परिवार
कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के समीप स्थित संभल ग्राम में होगा। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार में जन्म लेंगे।
पिता का नाम – विष्णुयश, जो वेदों एवं पुराणों के ज्ञाता और परम भक्त होंगे।
माता का नाम – सुमति, जो एक धार्मिक और पवित्र नारी होंगी।
भगवान कल्कि और माता वैष्णो का संबंध
कल्कि अवतार से संबंधित कई कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि भगवान की पत्नी देवी लक्ष्मी का ही एक अन्य रूप पद्मा कहलाएगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार, माता वैष्णो देवी, जो त्रेतायुग में भगवान राम से विवाह की इच्छा से कठोर तपस्या कर रही थीं, उनकी तपस्या कलियुग में पूरी होगी। कहा जाता है कि कल्कि भगवान माता वैष्णो की तपस्या को स्वीकार करेंगे और उनसे विवाह करेंगे। इस प्रकार, यह संबंध त्रेतायुग से लेकर कलियुग तक का एक दिव्य संयोग माना जाता है।
भगवान कल्कि के दिव्य गुण और विशेषताएँ
वाहन – भगवान कल्कि का वाहन सफेद रंग का घोड़ा होगा, जिसे देवदत्त के नाम से जाना जाएगा।
गुरु – भगवान परशुराम, जो स्वयं भगवान विष्णु के ही एक अवतार माने जाते हैं, कल्कि भगवान के गुरु होंगे। परशुराम जी अमरत्व का वरदान प्राप्त कर चुके हैं और वे कल्कि भगवान को शस्त्र विद्या तथा दिव्य ज्ञान प्रदान करेंगे।
शक्ति की प्राप्ति – परशुराम जी के निर्देश पर भगवान कल्कि, भगवान शिव की घोर तपस्या करेंगे, जिससे उन्हें दिव्य शक्तियाँ प्राप्त होंगी और वे अधर्म का नाश करेंगे।
भाई – जिस प्रकार भगवान राम के तीन भाई थे, उसी प्रकार कल्कि अवतार में भी तीन भाई होंगे – सुमन्त, प्राज्ञ और कवि। ये सभी धर्म की पुनर्स्थापना में भगवान कल्कि का साथ देंगे।
पुत्र – भगवान कल्कि के चार पुत्र होंगे, जिनके नाम होंगे – जय, विजय, मेघमाल, और बलाहक।
कल्कि अवतार का उद्देश्य
भगवान कल्कि का अवतार अधर्म, अन्याय, और पाप (Evil, injustice, and sin) का नाश करने के लिए होगा। वे अपने तेजस्वी स्वरूप और अपार शक्ति से पापियों का संहार करेंगे और सतयुग की स्थापना करेंगे। शास्त्रों में बताया गया है कि कल्कि अवतार का मुख्य उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना, अधर्मियों का विनाश और पृथ्वी पर शांति एवं न्याय का राज स्थापित करना है।
भगवान कल्कि का अवतार सम्पूर्ण सृष्टि के उद्धार के लिए होगा। यह अवतार केवल एक धार्मिक घटना ही नहीं बल्कि मानवता के नैतिक उत्थान का प्रतीक भी होगा। माता वैष्णो देवी का कल्कि भगवान (God Kalki) से विवाह एक दिव्य घटना होगी, जो अनंत काल से चली आ रही उनकी तपस्या का फल होगी। भगवान कल्कि का नाम मात्र लेने से ही व्यक्ति के जीवन में धर्म, न्याय और सत्य का प्रकाश फैल सकता है।