Stambheshwar Mahadev Temple: भगवान शंकर का यह मंदिर दिन में दो बार हो जाता है गायब, महाभारत से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास
Stambheshwar Mahadev Temple: वडोदरा से करीब 75 किलोमीटर दूर गुजराती शहर कवि-कम्बोई में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनोखी और रहस्यमय प्राकृतिक घटनाओं के लिए जाना जाता है। इसके अलावा शिवमहापुराण, रुद्र संहिता, भाग-2, अध्याय 11 में इस तीर्थस्थल का उल्लेख है। अपने अनोखे धार्मिक महत्व (Religious Significance) के अलावा, इस मंदिर में कुछ अविश्वसनीय रहस्य भी हैं। आज, आइए इस भव्य मंदिर के रहस्य को जानने का प्रयास करते हैं। कहा जाता है कि अपने वनवास के दौरान पांडवों ने यहां शिव की पूजा की थी। यहां उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना की थी, जो आज भी मंदिर में मौजूद है। पूजा स्थल होने के अलावा, स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev Temple) भारतीय पौराणिक कथाओं (Indian Mythology) और इतिहास के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।

दिन में दो बार गायब हो जाता है मंदिर
आपने सही सुना। दिन में दो बार यह मंदिर गायब हो जाता है। समुद्र की लहरों में इसका रहस्य छिपा है। यह मंदिर अरब सागर के किनारे स्थित है, और परिणामस्वरूप, जब भी ज्वार अधिक होता है, यह गायब हो जाता है। इस अनोखी घटना के कारण इस मंदिर का हिंदुओं के दिलों में एक विशेष स्थान है। यहाँ, भक्त शिव की पूजा करते हैं और मनोकामनाएँ माँगते हैं।
मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक पर्ची लगी होती है, जिस पर अगले ज्वार का समय अंकित होता है। ज्वार आने से पहले पूरे मंदिर को खाली करा दिया जाता है और जलस्तर कम होने के बाद श्रद्धालु वापस लौटना शुरू कर देते हैं।
मंदिर का अतीत
ऐसा कहा जाता है कि भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, जो 200 साल पहले मिला था। मंदिर का शिवलिंग दो फीट व्यास और चार फीट ऊंचा है। स्कंद पुराण में मंदिर की कथा का उल्लेख है। पौराणिक कथा के अनुसार राक्षस ताड़कासुर (Tadkasur) ने भगवान शिव से अपनी तपस्या के बदले में वरदान मांगा, जिससे वह संतुष्ट हो गया। शिव ने उसे दूसरा वचन लेने को कहा क्योंकि वह इसे स्वीकार नहीं कर सकता था। इसके बाद, ताड़कासुर ने पूछा कि केवल शिव का कोई अवतार ही उसे मार सकता है, और वह भी छह दिनों के भीतर। यह वरदान भगवान शिव ने दिया था।
ताड़कासुर ने वरदान प्राप्त करते ही पूरे ब्रह्मांड (Universe) पर कहर बरपाना शुरू कर दिया। उसके क्रूर रूप ने सभी देवी-देवताओं को भयभीत कर दिया, जिन्होंने भगवान शिव की ओर रुख किया और उनसे सहायता मांगी। भगवान शिव ने अपनी शक्ति से कार्तिकेयन का निर्माण किया। ताड़कासुर (Tadkasur) की हत्या कार्तिकेयन ने की, जो मात्र छह दिन का था। यह जानकर कार्तिकेयन क्रोधित हो गए कि ताड़कासुर भगवान शिव का अनुयायी था। तब कार्तिकेयन ने देवताओं की सलाह पर महिसागर संगम तीर्थ में एक शिवलिंग का निर्माण किया। तब से इस तीर्थस्थल का नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev Temple) के बारे में प्रश्नोत्तरी
प्रश्न: स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का स्थान क्या है?
उत्तर: गुजरात के कवि-कम्बोई में, उत्तर है।
प्रश्न: मंदिर का कौन सा विशिष्ट पहलू है?
उत्तर: मंदिर का शिवलिंग समुद्र की लहरों में डूब जाता है और प्रतिदिन दो बार निकलता है।
प्रश्न: मंदिर किस ऐतिहासिक युग से जुड़ा है?
उत्तर: महाभारत के समय से।
प्रश्न: मंदिर के देवता कौन हैं?
उत्तर: भगवान शिव।
प्रश्न: मंदिर को कौन सी नदी जल प्रदान करती है?
उत्तर: अरब सागर।
प्रश्न: मंदिर के डूबने की आवृत्ति कितनी है?
उत्तर: प्रतिदिन दो बार।
प्रश्न: मंदिर किस घटना के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है?
उत्तर: महाशिवरात्रि।
प्रश्न: मंदिर किस स्थापत्य शैली में बनाया गया है?
उत्तर: पारंपरिक हिंदू वास्तुकला के तरीके से।
प्रश्न: कृपया बताएं कि मंदिर के सबसे नजदीक कौन सा शहर है?
उत्तर: वडोदरा।
प्रश्न: मंदिर के आसपास का मुख्य पर्यटक आकर्षण कौन सा है?
उत्तर: नर्मदा नदी का उद्गम।
प्रश्न: मंदिर में किस तरह की प्राकृतिक सेटिंग है?
उत्तर: समुद्री और शांत।
प्रश्न: मंदिर का मुख्य उत्सव कब मनाया जाता है?
उत्तर: महाशिवरात्रि के दौरान।
प्रश्न: मंदिर में जाने के लिए साल का कौन सा समय आदर्श है?
उत्तर: सर्दी (नवंबर से फरवरी)।
प्रश्न: मंदिर में पूजा का सबसे आम तरीका क्या है?
उत्तर: शिवलिंग पर दूध चढ़ाना और जलाभिषेक करना इसका उत्तर है।