सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी

Jammu Kashmir Delimitation: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) के विरूद्ध याचिका पर केंद्र सरकार, जम्मू व कश्मीर प्रशासन और राष्ट्र के निर्वाचन आयोग से उत्तर मांगा। केंद्रशासित प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा सीट के पुनर्निर्धारण को लेकर परिसीमन आयोग गठित करने के गवर्नमेंट के निर्णय को चुनौती देते हुए जम्मू व कश्मीर के दो निवासियों ने यह याचिका पंजीकृत की है। न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र गवर्नमेंट और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करके उनसे छह हफ्ते में उत्तर मांगा है। न्यायालय ने यह भी बोला कि इसके दो हफ्ते बाद जवाबी हलफनामा भी पंजीकृत किया जाए।
दोनों याचिकाकर्ताओं हाजी अब्दुल गनी खान और डाक्टर मोहम्मद अयुब मट्टू की ओर से पेश अधिवक्ता ने बोला कि संविधान के प्रावधानों के उल्टा परिसीमन की प्रक्रिया चलाई गई। पीठ ने बोला कि परिसीमन आयोग कुछ समय पहले गठित किया गया था। पीठ ने याचिकार्ताओं से पूछा कि वे तब कहां थे और उस समय आयोग के गठन को चुनौती क्यों नहीं दी। अधिवक्ता ने बोला कि परिसीमन आदेश के अनुसार सिर्फ चुनाव आयोग ही सीमा में परिवर्तन कर सकता है। पीठ ने बोला कि वह अनुच्छेद-32 के अनुसार एक विशिष्ट प्रश्न पूछ रही है कि आप ने आयोग के गठन का विरोध क्यों नहीं किया और क्या आप ने अनुच्छेद-370 को खारिज करने का विरोध किया था?
पीठ ने अधिवक्ता को, जो आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे थे, उचित शब्दों के चयन की हिदायत दी और बोला कि कश्मीर हमेशा से हिंदुस्तान का अंग था और सिर्फ एक विशेष प्रावधान हटाया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बोला कि याचिका में दोतरफा बात है। मेहता के अनुसार पहले तो यह बोला गया है कि परिसीमन सिर्फ निर्वाचन आयोग द्वारा किया जा सकता है, न की परिसीमन आयोग ऐसा कर सकता है, दूसरी बात यह कि उन्होंने जनगणना के बारे में भी प्रश्न उठाए हैं।
मेहता ने बोला कि इन प्रश्नों का पुनर्निर्धारण कानून में उत्तर है। दो तरह के परिसीमन होते हैं। एक भौगोलिक आधार पर होता है, जिसको परिसीमन आयोग करता है, जबकि दूसरा परिसीमन सीट के आरक्षण को लेकर होता है जिसे निर्वाचन आयोग करता है। मेहता ने बोला कि याचिकार्ताओं का मामला ये है कि अनुच्छेद-370 के खारिज होने के बाद जनगणना साल 2026 में हो सकेगी। याचिका में बोला गया कि जब हिंदुस्तान के संविधान के अनुच्छेद-170 में यह प्रावधान है कि अगला परिसीमन साल 2026 के बाद किया जाएगा, फिर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू व कश्मीर को परिसीमन के लिए क्यों चुना गया?
इस मुद्दे की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से बोला कि वह चाहते हैं कि न्यायालय गवर्नमेंट को संसद के समक्ष कागजात पेश करने से रोके, लेकिन यदि आप बहुत चिंतित थे, तो आपने इस मुद्दे को दो साल पहले क्यों नहीं उठाया? याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि जम्मू व कश्मीर में सीट की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 सीटों सहित) करना संवैधानिक प्रावधानों जैसे कि अनुच्छेद 81, 82, 170, 330, और 332 का कब्ज़ा है, विशेषककर जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 63 के तहत।