ऋषि सुनक क्या दूर कर पाएंगे ब्रिटेन का आर्थिक अंधेरा....

ऋषि सुनक क्या दूर कर पाएंगे ब्रिटेन का आर्थिक अंधेरा....

आम तौर पर यदि किसी राष्ट्र के नेता दूसरे राष्ट्र में जाते हैं तो वहां की जनता के प्रति अपनापन दिखाने के लिए उनकी में अभिवादन करते हैं या एकाध जुमला बोलते हैं. जैसे हिंदुस्तान आने वाले विदेशी अतिथि अकसर ‘‘नमस्ते’’ या ‘‘आप कैसे हैं’’ कहकर हमारे राष्ट्र की संस्कृति निभाते हैं.

नयी दिल्ली. आम तौर पर यदि किसी राष्ट्र के नेता दूसरे राष्ट्र में जाते हैं तो वहां की जनता के प्रति अपनापन दिखाने के लिए उनकी में अभिवादन करते हैं या एकाध जुमला बोलते हैं. जैसे हिंदुस्तान आने वाले विदेशी अतिथि अकसर ‘‘नमस्ते’’ या ‘‘आप कैसे हैं’’ कहकर हमारे राष्ट्र की संस्कृति निभाते हैं, लेकिन आने वाले समय में जब ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक हिंदुस्तान आएंगे तो हो सकता है कि वह हिंदी या पंजाबी में बात करने के साथ ही आरती या गायत्री मंत्र भी सुना दें.

पिछले कुछ समय में पूरी दुनिया ने देखा कि वह पूरी श्रद्धा से गाय की पूजा करते हैं, हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं, माथे पर टीका लगाते हैं, कलाई पर कलावा बांधते हैं, दीवाली पर 10 डाउनिंग स्ट्रीट की दहलीज पर दीप जलाते हैं, पूजा करते हैं, पूरे गर्व से स्वयं को हिंदू बताते हैं और ब्रिटेन के पीएम का पद संभालने के बाद उस राष्ट्र की जनता को मौजूदा आर्थिक तंगी से निकालने का वचन देते हैं.
ब्रिटिश हुकूमत से आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रही हिंदुस्तान की जनता इस बार दीवाली के साथ-साथ इस बात की भी खुशी बना रही थी कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक पीएम बन गए हैं. सुनक ने ऐसे समय पर ब्रिटेन का शासन संभाला है, जब उस राष्ट्र में महंगाई आसमान छू रही है, आर्थिक वृद्धि की रफ्तार थम सी गई है, राष्ट्र की मुद्रा कमजोर हो रही है और उनकी कंजरवेटिव पार्टी आतंरिक कलह से बेहाल है.
सुनक ब्रिटेन के 57वें और इस साल के तीसरे पीएम हैं.

पहले बोरिस जॉनसन, फिर लिज ट्रस और अब ऋषि सुनक का पीएम की कुर्सी पर बैठना इस बात का संकेत है कि ब्रिटेन में सियासी हालात कुछ ठीक नहीं हैं और सुनक के सामने अपनी कुर्सी को बचाने के साथ-साथ राष्ट्र की जनता को भी संकट से निकालने की दोहरी जिम्मेदारी है.
12 मई 1980 को साउथैंम्पटन के सरकारी हॉस्पिटल में जन्मे सुनक 42 बरस के हैं और दो सौ वर्ष में ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के पीएम हैं. वह अफ्रीका में जन्मे चिकित्सक पिता यशवीर और फार्मासिस्ट मां ऊषा की तीन संतानों में सबसे बड़े हैं. ऋषि के दादा रामदास सुनक एक समय अविभाजित हिंदुस्तान के गुजरांवाला में रहते थे, जो बंटवारे के बाद पाक का हिस्सा बना. वह 1935 में नैरोबी चले गए और वहां जॉब करने लगे. ऋषि सुनक की दादी सुहाग रानी 1966 में अकेले ब्रिटेन गईं और एक साल बाद अपने परिवार को भी वहीं बुला लिया.

वह संघर्ष का समय था, लेकिन धीरे धीरे हालात बदले और आज यह आलम है कि ऋषि सुनक का परिवार ब्रिटेन के सबसे अमीर 250 परिवारों में शुमार है. वह हिंदुस्तान की शीर्ष आईटी कंपनियों में शामिल इन्फोसिस के मालिक नारायणमूर्ति के दामाद हैं. उनकी पत्नी अक्षता और उनके पास अपार धन, विशाल घर, हवेली और हर तरह के ऐशो आराम के साथ अब 10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटिश पीएम का सरकारी आवास-सह कार्यालय) भी है.
महज सात वर्ष के सियासी करियर में सांसद से पीएम के पद तक पहुंचे ऋषि सुनक का जीवन किसी परीकथा से कम नहीं है. उन्होंने आने वाली परेशानियों को समय से पहले भांप लेने और हवा के बदलते रूख के मुताबिक निर्णय करने की अपनी आदत को उस समय भी नहीं छोड़ा जब वह पीएम पद की होड़ में लिज ट्रस से हार गए. वह जानते थे कि ट्रस के निर्णय ब्रिटेन की जनता की आर्थिक समस्याओं को बढ़ाएंगे ही और तब वित्त मंत्री के तौर पर उनका तजुर्बा उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाएगा.

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा की बात करें तो ऋषि ने विंकस्टर कॉलेज से स्कूली पढ़ाई की है, जहां वह हैड ब्वॉय रहे. ऑक्सफर्ड के लिंकन कॉलंज से उन्होंने फिलॉस्फी, पॉलिटिक्स और इकनॉमिक्स में आगे की पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने अमेरिका की प्रतिष्ठित स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी से 2006 में एमबीए किया. यहां यह जान लेना उपयोगी होगा कि ऋषि अपने पूरे शैक्षणिक जीवन में बहुत होनहार और होशियार विद्यार्थी रहे.
पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हेज फंड मैनेजमेंट, चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड मैनेजमेंट और थेलीम पार्टनर्स के साथ काम किया. इसी दौरान 2009 में उन्होंने इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पुत्री अक्षता मूर्ति के साथ शादी किया.

उनकी दो बेटियां कृष्णा और अनुष्का हैं. 2013 से 2015 के बीच वह नारायण मूर्ति की निवेश कंपनी कैटेमारन वेंचर्स के निदेशक रहे.
2015 में उन्होंने बड़ी मजबूती के साथ राजनीति में कदम रखा और यार्क्स की रिकमंड सीट से सांसद चुने गए. कोविड के प्रकोप के दौरान लॉकडाउन के समय सुनक पीएम बोरिस जॉनसन की गवर्नमेंट में वित विभाग के प्रभारी थे और उन्होंने रोजगार बचाने और उद्योग धंधों को आर्थिक सहायता देकर ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को थामे रखने वाले कई लोकलुभावन निर्णय करके ब्रिटेन की जनता के दिल में अपने लिए स्थान बनाना प्रारम्भ कर दिया.

उनके इस कदम की खास तौर पर बहुत सराहना हुई जब वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने एक रेस्तरां में खाना सर्व किया ताकि अधिक से अधिक लोग खाना खाने आएं. सोशल मीडिया पर उनकी खाना परोसते हुए फोटोज़ जमकर वायरल हुईं.
ब्रिटेन के पूर्व पीएम विंस्टन चर्चिल ने हिंदुस्तान के आजाद होने के निर्णय का विरोध करते हुए बोला था कि हिंदुस्तानियों में शासन करने की क्षमता नहीं है और यदि इस राष्ट्र को आजाद किया गया तो कुशल शासन के अभाव में यह राष्ट्र बिखर जाएगा, पर बेचारे चर्चिल को क्या पता था कि जिस हिंदुस्तान पर दो सौ वर्ष तक अंग्रेजों ने राज किया है उसी हिंदुस्तान की मिट्टी से जुड़ा एक बेटा एक दिन ब्रिटेन में गवर्नमेंट का नेतृत्व करेगा.