हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामता और दादागिरी से यह सभी देश परेशान

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामता और दादागिरी से यह सभी देश परेशान
 हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामता और दादागिरी से वह सभी राष्ट्र परेशान हैं, खासकर जिनकी सीमा चीन से लगती है. चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक में आक्रामक रवैया अपनाए हुए है. वह अधिकतर क्षेत्रों पर अपना दावा करता है. इसलिए चीन की आक्रामकता को रोकना अब बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हिंदुस्तान को अब मार्ग दर्शक की किरदार निभानी होगी. यह बातें जर्मनी ने सुझाव के तौर पर कही हैं. जर्मनी का मानना है कि चीन के आक्रामक रवैये को हिंदुस्तान रोक सकता है.

उन्होंने यह भी बोला कि हिंदुस्तान और अन्य राष्ट्र एक ‘बड़े और ताकतवर देश’ का भार महसूस कर रहे हैं और इन्हें साथ बैठकर विचार करना चाहिए कि स्थिति से कैसे निपटा जाए.’’ हिंदुस्तान में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने हिंद-प्रशांत समेत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ में यह बात कही. जर्मनी के राजदूत ने यह भी बोला कि हिंदुस्तान को एक स्वतंत्र, मुक्त और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने के समग्र अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में एक ‘‘मार्गदर्शक‘‘ की किरदार निभानी चाहिए. एकरमैन ने कहा, ‘‘भारत का एक अनसुलझा सीमा टकराव है. यह कुछ ऐसा है, जिसका भार हिंदुस्तान महसूस कर रहा है और साफ तौर पर इस मुश्किल अध्याय से निपटना आसान नहीं है. मुझे लगता है कि पूरा क्षेत्र इस बड़े और ताकतवर देश के भार को महसूस कर रहा है.

2020 में गलवान की झड़प के बाद भारत-चीन के बीच हुआ तनाव

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने बोला कि क्षेत्र के सभी राष्ट्रों को एक साथ बैठना चाहिए और यह पता लगाने की प्रयास करनी चाहिए कि ‘‘एक ताकतवर पड़ोसी को रोकने के लिए प्रत्येक (देश) क्या कर सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे स्वीकार करना होगा कि यहां होने के नाते मैं (यह सब) देख पा रहा हूं. आप इस तनाव को महसूस करते हैं. यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे नजरअंदाज करना चाहिए.’’ जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद हिंदुस्तान और चीन के संबंधों में तनाव आया है. एक समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए हिंदुस्तान के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने चार राष्ट्रों के गठबंधन ‘क्वाड’ और ऐसे अन्य मंचों में नई दिल्ली की किरदार का उल्लेख करते हुए बोला कि राष्ट्र (भारत) कई अर्थ में दूसरों का मार्गदर्शन कर सकता है.

अमेरिका ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हिंदुस्तान की सहायता का आश्वासन दिया है
मौजूदा जरूरतों के मुताबिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तार हिंदुस्तान की आवश्यकता बन गया है. इसलिए अमेरिका भी अब हिंदुस्तान के साथ खड़ा है. वह हिंदुस्तान के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त सेना साझेदारी के लिए भी तैयार है. जो बाइडन ने बोला है कि हिंदुस्तान को आर्थिक और सामरिक सुरक्षा की दृष्टि से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तार का पूरा अधिकार है और अमेरिका इस मुद्दे में हिंदुस्तान के साथ है. वह हिंदुस्तान की पूरी सहायता करेगा. उल्लेखनीय है कि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हिंदुस्तान के विस्तार से चिंतित है. इसलिए वह लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है. दक्षिण चीन सागर पर भी चीन पूरा दावा करता है. इसलिए अमेरिका से लेकर जर्मनी तक हिंदुस्तान को अपनी समुद्री सीमा का विस्तार करने की राय दे रहे हैं.  क्योंकि सभी को भरोसा है कि हिंदुस्तान का असर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ेगा तो अन्य राष्ट्रों के लिए लाभकारी होगा. क्योंकि हिंदुस्तान निष्ठावान और प्रभावशाली देश है. इसके साथ अन्य राष्ट्रों को व्यापार और सुरक्षा साझेदारी करने में सरलता होगी. चीन के साथ कम से कम 12 से 13 राष्ट्रों का टकराव है.